Tuesday, 12 May 2020

मोहे पिया मिलन की आस






ना जाने ये विरह यु ही कब तक तड़पाएगा,
मिलने की आरज़ू में ना जाने कब तक रुलाएगा,
ज़िन्दा हूं तो बस आपकी यादों पर,
आपके उन अनकहे, वादो पर,
मिलने की जुस्तजू लिए, बेचैन सी रहती हूं,
आपके दिए इस जुदाई के दर्द को,
चुपचाप सहती हूं,
बोलो ना साजन जी ??
कब तक बन कृष्णा, इस राधा को तड़पाओगे,
इस मिलन के तड़प की प्यास को,
कब आकर बुझाओगे,
नहीं सहा जाता ये दर्द प्यार का,
दिल में जगह ही नहीं बचा है करार का,
दे दो ना कोई उपाय, मिलन के हमारे,
या दे दू जान तड़प कर प्यार में तुम्हारे,
क्यों दिल लगाया, क्यों प्यार किया,
रहना था दूर तो क्यों इश्क़ का इज़हार किया,
कुछ तो करो जतन, ऐ मेरे सनम,
बस कुछ तो चमत्कार हो जाए,
और हो जाए सजना से मिलन,
बस अब तो मोहे लगीं पिया मिलन की आस है,
पर सजना तो आ नहीं रहा मेरे पास है।




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