Saturday 31 August 2019

बालिका दिवस





मत मारो मुझे माँ की कोख में...
मुझे भी हक़ है खेलने का माँ की गोद मे।
आँगन में गूँजती किलकारियां....नन्हें नन्हे पैरो में पायल की रुनझुन .....
तुतलाते होठो से कुछ कहते हुए....माँ का आँचल खीचना ,
और बस गोद मे बैठ जाने की धुन......
माँ ये सब कहा पाओगी? किसे बिटिया रानी कहकर बुलाओगी?
मत मारो....मुझे माँ की कोख में...
मुझे भी हक़ है खेलने का माँ की गोद मे।
पापा आप ही सुन लो ना मेरी फरियाद....
आने दो मुझे इस दुनिया मे, थाम लो मेरा हाथ,
आंखों में आपके देखकर हर बात समझ जाउंगी,
नन्हे नन्हे हाथो से अपने , चाय नाश्ता खाना आपको खिलाऊंगी,
बनूँगी पापा आपकी लाडली बिटिया, लेकिन बेटे का भी हर फ़र्ज़ निभाऊंगी,

पापा मत मारो मुझे माँ की कोख में, मुझे भी हक़ है खेलने का माँ की गोद मे।
भैया आप ही समझाओ ना .... माँ और पापा को..
देखने दे मुझे भी इस खूबसूरत दुनिया को,
खेलने दे मूझे आपके साथ, थामकर आपका हाथ,
राखी बांधूंगी भैया पर सच्ची तोहफ़ा ना मागूंगी,
लेकर बलैया आपकी हर नज़र उतारूंगी,
आपकी सारी गलतियों की जिम्मेदार भैया मैं खुद बन जाउंगी, 
डाटि खा लुंगी सबसे पर दुनिया की हर बला से आपको बचाऊंगी,
बहना हु भैया आपकी, बहना का हर फ़र्ज़ निभाऊंगी,
समझा दो ना इस दुनिया को, दादा दादी, चाचा - चाची, ताऊ और ताई जी को...
बिन बेटी क्या ये जग बन पाया है...
बेटो का अस्तित्व भी तो बेटियो ने ही बनाया है....
मत मारो मुझे माँ की कोख में....
मुझे भी हक़ है खेलने का माँ  की गोद मे।
                     
                                                                                                                                         अम्बिका दुबे

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