कहते हमें नारी शक्ति, अन्नपूर्णा देवी, हर मकान को घर बनाने का आधार है,
हम औरतों से ही तो चलता ये मानव रूपी संसार है,
फिर क्यों कुत्तो की तरह हमे नोंच नोंच कर खाते हो?
अपनी हवस की आग में हमारे आबरू तार तार कर जाते हो,
अरे कह दो उन मानसिकता के बीमार रोगियो को,
अपनी अन्ततः से अंजान उन भोगियो को,
जो माँ , बेटी , बहन की आबरू से खेलते है,
उनकी लूटी आबरू पर हँसते मुस्कुराते है,
अब नारी शक्ति इतनी कमज़ोर नही,
सीता और अहिल्या की तरह मजबूर नही,
हम चाह ले तो इस दुनिया का अस्तित्व मिटा डाले,
आँचल में दूध है लेकिन आंखों में भरे है शोले,
हम कमजोर नहीं, हममे तो भरे मातृत्व का अंबार है,
हम माँ है, और माताओं से ही चलता संसार है,
थम जा , सम्हल जा, कर ले अपनी अकल ठिकाने,
नही तो हर औरत बन काली आएगी तुम जैसो का अस्तित्व मिटाने।
- अम्बिका दूबे
हम औरतों से ही तो चलता ये मानव रूपी संसार है,
फिर क्यों कुत्तो की तरह हमे नोंच नोंच कर खाते हो?
अपनी हवस की आग में हमारे आबरू तार तार कर जाते हो,
अरे कह दो उन मानसिकता के बीमार रोगियो को,
अपनी अन्ततः से अंजान उन भोगियो को,
जो माँ , बेटी , बहन की आबरू से खेलते है,
उनकी लूटी आबरू पर हँसते मुस्कुराते है,
अब नारी शक्ति इतनी कमज़ोर नही,
सीता और अहिल्या की तरह मजबूर नही,
हम चाह ले तो इस दुनिया का अस्तित्व मिटा डाले,
आँचल में दूध है लेकिन आंखों में भरे है शोले,
हम कमजोर नहीं, हममे तो भरे मातृत्व का अंबार है,
हम माँ है, और माताओं से ही चलता संसार है,
थम जा , सम्हल जा, कर ले अपनी अकल ठिकाने,
नही तो हर औरत बन काली आएगी तुम जैसो का अस्तित्व मिटाने।
- अम्बिका दूबे
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