Friday, 13 September 2019

गणपति बाप्पा का दर्द - उनकी पुकार बस सुनिए एक बार




                           तड़प रहा हु मैं, सिसक रहा हु मैं, पड़ा हु गंदे कूड़े केआगोश में, 
ओ मेरे सच्चे भक्तो..... आओ उठा लो मुझे ...फिर से अपनी गोद मे,

इतनी तुम श्रद्धा भाव जताते हो, लाते हो गोद मे उठाकर मुझे और मेरी मूर्ति सिर माथे चढ़ाते हो,
कहते हो बाप्पा, और पुढच्या वर्षी फिर बुलाते हो,
अगरबत्ती की खुशबू, आरती की थाल और मोदक भोग लगाते हो,
फिर मेरा अंजाम इतना बुरा और क्यों ऐसा हाल है,
टूटे सारे शरीर के अंग मेरे, पड़ी सारी मुर्तिया बेहाल है, 
मुर्दो को तो जलाकर अस्थियां गँगा जी मे विसर्जित कर आते हो, 
और मुझे यु बीच के किनारे पड़े कूड़े के ढेर में तड़पाते हो,
दर्द होता है मुझे मेरे टूटे बिखरे अंग देखकर, 
सहम जाता हूं मैं अपना इतना बुरा हश्र सोचकर, 
तुम्हारी पूजा तुम्हारे प्यार का भाव तो था सच्चा, 
फिर मेरा अंत क्यों ना हुआ अच्छा,
 बस मैं यू ही रोता तड़पता रह जाऊंगा, 
चाहकर भी अपने आपको ना मिटा पाऊंगा, 
क्योंकि किया तुमने मेरा निर्माण कुछ ऐसी वस्तुओं से, 
जिसे ना गंगा ना सागर, किसी मे भी मैं खुद को विलीन न कर पाऊंगा,
बस वो पूजा के मन्त्र, हवन की खुशबू याद आएंगी, 
वो फूलो के हार और मोदक की भूख तड़पाएँगी,
मैंने तो इंसानो को कुछ यूं सजाया की , 
उनके अंत होने पर उन्हें मिट्टी में मिलने के काबिल बनाया,
और जब तुम इंसानो की बारी आई तो तुमने क्या कर दिखाया, 
मेरा अस्तित्व मिटाकर मुझे मिट्टी में मिलने के काबिल भी ना बनाया,
तुम्हारी आखिरी बिदाई के बाद तुम जलाये और दफनाए जाते हो, इस पवित्र मिट्टी में मिलाएं जाते हो, 
तो मेरे साथ इतना बुरा क्यों, और क्यों मेरा ऐसा अंजाम है, 
कुछ दिनों के भव्य पूजा, स्नेह, श्रध्दा के बाद मिला क्यों कूड़े का शमशान है,
मैं भी मिल जाऊ मिट्टी में, मुझे इस काबिल क्यों नही बनाते हो, 
अगर बनाओ मुझे मिट्टी का तो मैं भी मिट्टी में मिल जाऊ, 
तभी तो मैं अगले बरस धूमधाम से फिर आऊ, 
लेकिन इस गंदगी का दर्द भी मैं सह जाऊंगा, 
तुम बच्चे हो मेरे मैं बाप्पा तुम्हारा , अगले बरस तुमसे मिलने फिर से आऊंगा, 
दो दिन की पूजा और प्यार, उसके बाद इतना बुरा अत्याचार भी मैं तुम्हारे लिए  सह जाऊंगा, 
बस तुम सब भी कर लो थोड़ा मेरे दर्द का अहसास,
 मैं तो बाप्पा हु तुम्हारा रहता हूं हर पल तुम्हारे साथ,
 करो वादा मुझे मिट्टी का बनाने का, दो मुझे वचन मिट्टी में मेरे मिल जाने का, 
तो  मैं और खुश होकर तुमसे मिलने आऊंगा, 
अगले बरस फिर से ढेर सारी खुशियाँ लाऊँगा। 
अभी तो मैं,,,,
तड़प रहा हु मैं, सिसक रहा हु मैं, पड़ा हु गंदे कूड़े के।आगोश में, 
ओ मेरे सच्चे भक्तो आओ उठा लो मुझे फिर से अपनी गोद मे,

                                                  अम्बिका दूबे


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